05-Oct-2024
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बहुत ही कठिन थी डॉ मोइनुद्दीन की मदरसे से निकल साइंटिस्ट बनने तक की डगर

डॉक्टर मोइनुद्दीन अब तक दर्जनों नेशनल और इंटरनेशनल सम्मेलनों में हिस्सा ले चुके हैं

एजुकेशन किसी को भी ज़मीन से आसमान तक उठा सकती है, ये कहना है उत्तर प्रदेश के जलालपुर में रहने वाले डॉ मोइनुद्दीन का। उनकी शुरुआती पढ़ाई कस्बे के ‘मदरसा निदा हक’ से हुई, और वो आज एक एग्रीकल्चर साइंटिस्ट हैं। डॉ मोइनुद्दीन अब तक दर्जनों नेशनल और इंटरनेशनल सम्मेलनों में हिस्सा ले चुके हैं।

डॉ मोइनुद्दीन श्री गुरू राम राय विश्वविद्यालय के कृषि विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर हैं। इसके साथ ही इन्होंने सैम हिगिनबॉटम इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज, इलाहाबाद से पीएचडी की हुई है। डॉ मोइनुद्दीन ने ‘आवाज़ द वॉयस’ को बताया कि “पढ़ाई के दौरान उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, उन्हें किराये पर घर नहीं मिलता था जिसकी वजह से वो दो साल भीमसावा आश्रम में रहे, जिसके बाद एक हिंदू परिवार ने उनको किराये पर घर दिया था।

साल 2013 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में उन्हें ‘15वें भारतीय कृषि वैज्ञानिक और किसान कांग्रेस’ में यूपी में यंग साइंटिस्ट पुरस्कार से नवाज़ा गया था। उत्तर प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ कृषि वैज्ञानिक पुरस्कार, नेपाल में उत्कृष्ट वैज्ञानिक पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित हो चुके हैं।

डॉ मोइनुद्दीन ने कहा कि उनको इतनी कम उम्र में लोगों से जो सम्मान मिला है,वो इसे शब्दों में बयां नहीं कर सकते। आज अगर वो इस लायक बन पाए हैं तो इसका कारण उनकी शिक्षा ही है। तालीम अल्लाह की बहुत बड़ी नेमत है, जिसके लिए संघर्ष करना हर युवा का कर्तव्य है।

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