“है राम के वजूद पे हिन्दोस्तां को नाज़, अहल-ए-नज़र समझते हैं इस को इमाम-ए-हिंद” उर्दू के मशहूर शायर अल्लामा इक़बाल ने अपने शायरी में भगवान राम को इमाम ए हिंद से नवाज़ा था। रामनवमी के मौके पर बिहार के गया में इक़बाल की ये शायरी सरज़मी पर नज़र आती है। यहां महावीरी झंडा बनाने में न मुस्लिम कारीगरों को कोई परहेज़ है, न हिन्दुओं को ऐतराज़।
यहां मुस्लिम और हिंदू दोनों समुदाय के लोग भाईचारे के साथ हर त्यौहार मनाते हैं। मोहम्मद सलीम का परिवार यहां छह दशक से रामनवमी पर भगवा झंडा बना रहा है। अब रामनवमी में मोहम्मद सलीम का महावीरी पताका एक बार फिर धूम मचाने को तैयार है। उनकी तीसरी पीढ़ी के हाथ और पांव सिलाई मशीन पर तेजी से थिरक रहे हैं और इस दर्ज़ी के दीवाने दूर-दराज़ के लोग भी हैं।
मोहम्मद सलीम की दुकान केपी रोड पर गया मार्केट में मौजूद है। झंडा बनाना उनकी कमाई का ज़रिया है। उन्होंने आवाज़ द वॉयस को बताया कि “बिहार में ही नहीं झारखंड में भी हमारे द्वारा बनाये गये झंडे की मांग है। हम सभी मिलजुल कर हर त्यौहार मनाते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं। यही तो है हमारा असली भारत.. जहां शुरू से कहा जाता है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई आपस में हैं सब भाई-भाई।”
मोहम्मद सलीम के अलावा मोहम्मद राशिद और मोहम्मद यूनुस सदियों से इसी जगह पर अपनी दुकान चला रहें हैं। साठ सालों से तीनों पीढ़ी राम भक्ति में रमी है।
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