03-Oct-2024
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तौहीदा अख़्तर की कहानी संघर्ष से सफलता तक, 1200 लड़कियों को दे चुकी हैं ट्रेनिंग

श्रीनगर की रहने वाली तौहीदा अख़्तर शाइनिंग स्टार सोसाइटी के नाम से एक (NGO) चलाती हैं मुफ़्त में ट्रेनिंग भी देती है। करीब 1200 लड़कियों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं ।

तौहीदा अख़्तर अपनी मेहनत और जुनून से समाज में बदलाव लाने के लिए अहम किरदार अदा कर रही हैं। श्रीनगर की रहने वाली तौहीदा अख़्तर शाइनिंग स्टार सोसाइटी के नाम से एक (NGO)  भी चलाती हैं और मुफ़्त में ट्रेनिंग भी देती हैं। तौहीदा के पिता मजदूरी करते थे। घर के हालात ज़्यादा अच्छे नहीं होने की वजह से हमेशा पैसे की कमी रहती थी। ग़ुरबत में ज़िंदगी गुज़र-बसर करके क्राफ्ट सीखना शुरू किया। वो अपने परिवार और भाई-बहनों के लिए कुछ करना चाहती थीं। तौहीदा के तीन बड़े भाई और एक छोटी बहन है। तौहीदा ने DNN24 से बात करते हुए कहा कि, वालिद का पेशा मज़दूरी था। पापा आगे की पढ़ाई का खर्च नहीं उठा सकते थे। इसी वजह से मैंने घर पर खाली बैठने से इनकार कर दिया और बामिना इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट (ITI) में दाखिला लिया।

ट्रेनिंग देती हुई तौहीदा अख़्तर (फोटो: DNN24)

महिलाओं के कारोबार के सपनों को हक़ीक़त में बदला

तौहीदा ने मुश्किल रुकावटों को पारकर शाइनिंग स्टार बुटीक’ से लेकर ITI Centre खोला है। तोहिदा कहती हैं कि, ‘’पुरस्कार में एक नई सिलाई मशीन मिली। जिसने उनकी ज़िंदगी बदल दी। मैंने अपने हुनर से फायदा उठाकर सिलाई शुरू कर दी। इससे मुझे अच्छी आमदनी होने लगी।’’ 

इसके बाद तौहीदा ने एक छोटा सा बुटीक खोला है। कहते हैं कि मेहनत का फल ज़रूर मिलता है। तोहिदा ने बताया कि, मुझे  ज़िंदगी में चीज़ों को आज़माने का भरोसा मिला। लेकिन ये सफ़र उनके लिए आसान नहीं था, कई बार उनके पास बस से सफ़र तय करने के लिए भी पैसे नहीं होते थे. हालांकि, मुश्किल वक़्त ने उनको अपने भाइयों और बहनों को अच्छी शिक्षा हासिल करने के लिए मजबूर किया। 

ट्रेनिंग सेंटर में अलग अलग के हुनर सिखती महिलाएं (फोटो: DNN24)

तौहीदा का मक़सद सिर्फ़ अपने परिवार के लिए अच्छा कमाना ही काफी नहीं था। इसलिए तौहीदा ने गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने का फैसला किया और इस तरह लावा पुरा में एक ट्रेनिंग सेंटर खोला। बुटीक में 12 कर्मचारी हैं तौहीदा सिलाई और मेहंदी की कला सिखाती हैं। वो करीब 1200 लड़कियों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं और बहुत कम फ़ीस में सिखाती है। जिनके पास फ़ीस नहीं होती है उन्हें मुफ़्त में ट्रेनिंग भी देती हैं। तौहीदा का सफ़र एक बार फिर साबित करता है कि अगर आप खुद पर विश्वास करते हैं, तो आप अपने सपनों को हक़ीक़त में बदल सकते हैं।

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