जकात इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है जो सामाजिक समानता की गुणवत्ता को बढ़ाता है। यह मुसलमानों के लिए अनिवार्य दान है, जिसे अदा करने के लिए इस्लाम में सख्ती से हिदायत दी गई हैं। इस्लाम में कहा गया है कि यदि इंसान जीवन के सभी खर्चों से मुक्त है, तो उसे अपनी संपत्ति का कुछ हिस्सा दान करना चाहिए। लेकिन ज्यादातर लोग जरूरी जकात की रकम अदा करने में पीछे रहते हैं क्योंकि इसका समुचित वितरण असंठित होता है। इससे समुदाय के गरीबों के पिछड़ेपन को दूर करने में सहायता नहीं मिलती है जैसा कि उम्मीद की जाती है।
इस खबर को पूरा पढ़ने के लिए hindi.awazthevoice.in पर जाएं।
ये भी पढ़ें: हमारे अमरोहा के कमाल अमरोही
आप हमें Facebook, Instagram, Twitter पर फ़ॉलो कर सकते हैं और हमारा YouTube चैनल भी सबस्क्राइब कर सकते हैं।