बिहार के साहित्य अकादमी अवॉर्ड से सम्मानित साहित्यकार अब्दुस्समद को आंध्र प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय इकबाल सम्मान से नवाज़ा है। उन्हें इस पुरस्कार से नवाजे जाने से बिहार के उर्दू जगत में खुशी की लहर है। उर्दू काउंसिल ऑफ इंडिया के नाज़िम असलम जावेदां ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि “प्रोफेसर अब्दुस्समद ने हमेशा अपनी शानदार लेखनी से बिहार को वक़ार (आत्मसम्मान) और साहित्यिक सम्मान दिलाया है।”
प्रोफेसर अब्दुस्समद उर्दू के साथ हिंदी और अंग्रेज़ी भाषा के भी जानकार हैं। उनका उपन्यास ‘ख्वाबों का सवेरा’ का अंग्रेज़ी में अनुवाद हो चुका है। जिसकी समीक्षा राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी। बिहार के नालंदा में एक ज़मींदार घर में जन्मे अब्दुस समद विज्ञान के छात्र थे लेकिन बाद में उन्होने अपना स्ट्रीम बदल लिया। उन्होंने मगध यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया और राजनीति शास्त्र में पीएचडी की।
वो प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ पुरस्कार समिति, नई दिल्ली (1994-1996) के बोर्ड में थे इसके साथ ही साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित अंग्रेजी जर्नल “उत्तरा” नई दिल्ली (1997-1998) के संपादक मंडल के अध्यक्ष भी रहे।
डॉ अब्दुस्समद को कई अवॉर्ड से नवाज़ा जा चुका है। जिनमें यूपी उर्दू अकादमी पुरस्कार, बिहार उर्दू अकादमी, ग़ालिब अवॉर्ड और आल्मी अदबी जैसे अवॉर्ड शामिल है। पत्रकार डॉ. अनवारुल होदा कहते हैं कि प्रोफेसर अब्दुस्समद को इकबाल सम्मान जैसा सर्वोच्च अवार्ड मिलना पूरे बिहार के लिए खुशी और गर्व की बात है। प्रोफेसर अब्दुस्समद बिहार के एक ऐसे सितारे हैं जिनकी चमक देश की सीमाओं से पार भी पहुंच रही है।
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