दिल से एक एक्टर कभी संतुष्ट नहीं होता, जिस दिन वो संतुष्ट हो जाता है, वो मर जाता है। ये शब्द है अभिनेता नसीरुद्दीन शाह के। आवाज़ द वॉयस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वो 14 साल के थे जब पहली बार ड्रामा स्कूल के मंच पर कदम रखा था। जिस पल उन्होने मंच पर होश संभाला उस वक्त उन्हे लगा कि वो अपने घर आ गए है। उस दौरान उन्हे महसूस हुआ था कि ये वही जगह है, जहां उन्हे होना चाहिए। उस दिन के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
वो कहते हैं कि “मैं इसे इतना प्यार क्यों करता हूं, मैं समझा नहीं सकता लेकिन क्या कोई कभी प्यार को समझा पाया है? मैं थिएटर में और बहुत कुछ एक्सप्लोर करना चाहता हूं और वक्त बीतता जा रहा है।”नसीरूद्दीन शाह कहते हैं कि अलकाजी (ओम पुरी) से उन्होंने काफी सारी चीज़े सीखी। दृश्यों को किस तरह से रचा जाना चाहिए, एक अभिनेता को कितनी मेहनत करनी चाहिए और एक प्रोडक्शन बनाने में कितनी तैयारी करनी पड़ती हैं। करीब हर चीज़ के बारे में अलकाजी का ज्ञान उन्हें बहुत छोटा महसूस करवाता था, इसलिए नसीरुद्दीन शाह को लगता था कि उन्होंने उनसे अनजाने में विनम्रता भी सीखी।
थिएटर ने नसीरूद्दीन शाह को समझदार बनाए रखा है। लोगों और दुनिया में उनकी रुचि के दायरे को बढ़ाया है। ये मुझे उन लोगों तक पहुंचने में भी मदद करता है, जिन तक मैं वास्तविक जीवन में नहीं पहुंच सकता। वो कहते हैं कि “हर एक दर्शक दूसरे से अलग होता है और आपके काम की गुणवत्ता इस बात पर निर्भर नहीं होनी चाहिए कि दर्शक कैसी प्रतिक्रिया देते हैं। कोई अच्छा या बुरा दर्शक नहीं होता, सिर्फ अच्छा और बुरा प्रदर्शन होता है।”
जब नसीरुद्दीन शाह से पूछा गया कि नए थिएटर प्रोडक्शन और फिल्में जिनका दर्शकों को इंतज़ार करना चाहिए तो उन्होंने कहा कि अगला प्रोडक्शन दास्तानगोई है। जो अशोक लाल को दो कहानियां है। जिन्हें 24 सितंबर 2024 को सफदर दिल्ली स्टूडियो में प्रेजेंट किया जाएगा।
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