जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग ज़िले में मौजूद कांडी (Qandi) – द ट्रेडिशनल टेस्ट पिछले करीब पचास सालों से कश्मीर के लोगों की पहली पसंद बनी हुई है। साल 1968 में गुल मोहम्मद ने शुरू की ये बेकरी आज कश्मीरी पारंपरिक बेकिंग की एक ख़ास पहचान बन चुकी है। वक़्त बदलने के बावजूद कांडी ने अपने स्वाद, क्वालिटी और परंपरा को हमेशा संभालकर रखा। आज इस विरासत को उनके बेटे शाहिद गुल आगे बढ़ा रहे हैं, जो पुराने स्वाद में नई सोच जोड़कर कांडी की पहचान को और मज़बूत कर रहे हैं।
कैसे हुई Qandi बेकरी की शुरुआत
कांडी की शुरुआत अनंतनाग के हज़रत बल इलाके में एक छोटी-सी बेकरी के तौर पर हुई थी। उस दौर में यहां पारंपरिक कश्मीरी ब्रेड और मिठाइयां बनाई जाती थीं। ख़ास स्वाद, ताज़गी और मेहनत की वजह से बेकरी में जल्दी ही स्थानीय लोगों के साथ-साथ बाहर से आने वाले लोगों में भी मशहूर हो गई। साल 2016 में गुल मोहम्मद के इंतकाल के बाद, उनके बेटे शाहिद गुल ने बेकरी की पूरी ज़िम्मेदारी संभाली और अपने पिता की मेहनत को आगे बढ़ाने का फैसला किया।
शाहिद गुल: परंपरा के साथ नई सोच
शाहिद गुल बताते हैं कि उन्होंने ये काम बचपन से ही अपने वालिद से सीखा। समय के साथ उन्होंने बेकरी के काम में नया अंदाज़ जोड़ा, लेकिन स्वाद, साफ-सफाई और परंपरा से कोई समझौता नहीं किया। उन्होंने बेहतर पैकेजिंग की शुरुआत की, होम डिलीवरी को बढ़ावा दिया और सोशल मीडिया के ज़रिए ऑर्डर लेने की सुविधा शुरू की। आज लोग WhatsApp के ज़रिए से भी से प्रोडक्ट मंगवा सकते हैं।

हाथ से बनी, असली कश्मीरी कुकीज़
बेकरी की सबसे बड़ी ख़ासियत है कि यहां आज भी सब कुछ हाथ से बनाया जाता है। न मशीनों का इस्तेमाल होता है, न किसी तरह का केमिकल और न ही नकली रंग। कुकीज़ और दूसरे बेकरी आइटम्स को पारंपरिक तंदूर में बेक किया जाता है, जिससे उनका स्वाद और ख़ुशबू अलग ही पहचान बनाती है। शाहिद गुल और उनकी 4–5 लोगों की टीम पुराने कश्मीरी तरीकों से काम करती हैं।
ट्रेडिशनल और मॉडर्न बेकरी में फर्क
आजकल ज़्यादातर बेकरी मशीनों और इलेक्ट्रिक ओवन पर निर्भर हो गई हैं। लेकिन इस बेकरी में आटा हाथ से गूंथा जाता है और आइटम्स लकड़ी की आग वाले तंदूर में बनाए जाते हैं। शाहिद गुल मानते हैं कि यही तरीका कश्मीर की पहचान को ज़िंदा रखता है और यही वजह है कि कस्टमर्स को यहां का स्वाद बार-बार खींच कर लाता है। Qandi में कई तरह की कश्मीरी पारंपरिक मिठाइयां मिलती हैं। इनमें ‘कांजी’ ख़ास तौर पर पसंद की जाती है, जिसमें ड्राई फ्रूट्स का स्वाद भी शामिल होता है। ज़्यादातर प्रोडक्ट्स ऑर्डर मिलने पर बनाए जाते हैं, ताकि ताज़गी बनी रहे।

हाइजीन का ख़ास ध्यान
यहां कश्मीरी पारंपरिक कुकीज़ के साथ-साथ अब तुर्की, इटालियन और फ्रेंच कुकीज़ भी बनाए जाते हैं। इससे ग्राहकों को नए स्वाद का अनुभव मिलता है, लेकिन जड़ें पूरी तरह कश्मीर से जुड़ी रहती हैं। इस बेकरी में हाइजीन का पूरा ख़्याल रखा जाता है। यहां टेस्ट के साथ-साथ क्वालिटी और सफ़ाई को भी बराबर अहमियत दी जाती है। सालों से कांडी ने अपने ग्राहकों का भरोसा जीता है और लोग इसके स्वाद और क्वालिटी की खुलकर तारीफ करते हैं।
शाहिद गुल का ख़्वाब है कि कश्मीरी पारंपरिक कुकीज़ पूरे देश तक पहुंचे, ताकि हर कोई कश्मीर के असली स्वाद को महसूस कर सके। कांडी-द ट्रेडिशनल टेस्ट सिर्फ़ एक बेकरी नहीं, बल्कि एक परिवार की विरासत और कश्मीरी संस्कृति की पहचान है, जो आज भी पूरे दिल से मिठास बांट रही है।
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