दरगाह एक फारसी शब्द है जिसका प्रयोग अक्सर एक श्रद्धेय सूफी संत, पीर, वली, या दरवेश की कब्र के लिए किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इन्हीं दरगाहों से सूफीवाद भारत में फैला और वे सूफी शिक्षाओं के केंद्र बने। एक दरगाह में धर्म के मायने बदल जाते हैं, जहां आने वाला इंसान इंसानियत, भाईचारे और प्यार की सीख पाता है। यही कारण है कि दरगाहों को सांप्रदायिक सद्भाव के प्रतीक के रूप में मान्यता प्राप्त है।
सभी धर्मों के लोग, हिंदू और मुसलमान समान रूप से, बिना किसी धार्मिक पूर्वाग्रह के दरगाहों पर जाते हैं, और उनकी मनोकामना पूरी होती है।
बिहार में प्राचीन इतिहास को समेटे कई दरगाहें हैं। जो अपने निर्माण, संस्कृति, मुराद, मन्नतें, साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए मशहूर हैं। बिहार देश का इकलौता राज्य है जहां जहानाबाद स्थित बीबी कमालो को देश की पहली महिला सूफी संत होने का गौरव हासिल है।
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