26-Jul-2024
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इस गांव की बेटियां पिता से क्यों मांगती हैं बंदूक?

मुझे पहले से ही शूटिंग में दिलचस्पी थी। मैं बहुत आगे जाना चाहती हूं और देश के लिए मेडल लाना चाहती हूं। मानवी ने आगे कहा कि मैं अपने माता-पिता से कहूंगी कि मुझे दहेज़ में पिस्टल दे।

उत्तर प्रदेश का एक ऐसा गांव जहां बेटियों शादी के मौके पर मिलने वाले दहेज़ में सोना-चांदी, गाड़ी-बंगला या दूसरे कीमती सामान नहीं बल्कि निशाना लगाने के लिए बंदूक और पिस्टल की मांग करती हैं। इन बेटियों का सपना है कि सटीक निशाना लगाकर ओलंपिक में गोल्ड मेडल ला सकें और देश का नाम रोशन कर सकें। बेटियों की इस अनोखी मांग को पिता भी शिद्दत से पूरा करते हैं। यहाँ हम बात कर रहें हैं बागपत में बड़ौत इलाके के जौहड़ी गांव की।

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ सरकार ने नारा दिया था। लेकिन बेटियों के अंदर कुछ कर दिखाने का जज़्बा  दिखा तो, डॉक्टर राजपाल सिंह ने बेटियों को कामयाबी के पंखों को उड़ान देने की शुरूआत की।

कैसे राइफल एसोसिएशन शूटिंग की शुरूआत हुयी

डॉक्टर राजपाल सिंह ने 20 साल पहले राइफल एसोसिएशन शूटिंग रेंज की नींव रखी थी। राजपाल सिंह जी ने लड़के और लड़कियों को शूटिंग रेंज में इस काबिल बनाया जिसके बाद वो National और International Level पर medal जीतने लगीं। लड़कियों का कहना है कि अगर हमारे पास पिस्टल होगी तो, शादी के बाद भी हम अपना मक़सद पूरा कर सकेंगे। यहां से सैकड़ों बेटियों ने ट्रेनिंग पाकर रेलवे, पुलिस, आर्मी और दूसरे बेल्ट की सरकारी नौकरियां हासिल की हैं।

मानवी ने DNN24 से बात करते हुए कहा कि मुझे पहले से ही शूटिंग में दिलचस्पी थी। मैं बहुत आगे जाना चाहती हूं और देश के लिए मेडल लाना चाहती हूं। मानवी ने आगे कहा कि मैं अपने माता-पिता से कहूंगी कि मुझे दहेज़ में पिस्टल दे।

Rifle Association, Johri, Baraut
Rifle Association, Johri, Baraut

कोच महबूब ख़ान ने लड़कियों की नायाब कोशिश के बारे में बताया

हाल ही में जौहड़ी गांव से ताल्लुक़ रख़ने वाले महबूब ख़ान को खेलों इंडिया शूटिंग का कोच बनाया गया था। कोच महबूब ख़ान ने कहा कि यहां से काफ़ी बच्चे नौकरी हासिल करके कामयाब हुये। यहां से 100 से 150 बच्चों ने अलग-अलग डिपार्टमेंटस में जैसे रेलवे, आर्मी, पुलिस और नेवी में नौकरी ली हैं। आगे आने वाले वक़्त में हमारा मक़सद है कि, ज़्यादा से ज़्यादा बच्चे यहां से कामयाब हो सकें। और अपनी तरफ़ से हम पूरी कोशिश कर रहे है। इन लड़कियों की नायाब कोशिश है कि, हमें माता-पिता पिस्टल दे ताकि हम ओलंपिक में मेडल हासिल करके अपने इलाक़े और देश का नाम रौशन कर सके। इनकी और हमारी दिली ख़्वाहिश है कि हमारे यहां से कोई ओलंपिक में मेडल जीते।

Rifle Association, Johri, Baraut

यहां करीब दो दर्जन से ज़्यादा लड़कियां निशानेबाजी की practice करती हैं। Students ने अभी तक करीब 40 international और 300 से ज़्यादा National level पर gold-silver and bronze medals जीतकर दुनिया में देश का नाम रौशन किया हैं। राजपाल सिंह का मक़सद अकादमी खोलकर पैसे कमाना नहीं, बल्कि समाज और देश की सेवा करना था और वह अभी तक उसी रास्ते पर क़ायम हैं।

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