भारत में नवरात्रि का समय बहुत ख़ास माना जाता है। इन दिनों लोग मां दुर्गा की पूजा करते हैं। तरह-तरह के धार्मिक कार्यक्रम किये जाते हैं। असम के गुवाहाटी में स्थित कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) में नवरात्रि के दौरान एक अलग और अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इसे कहते हैं कुमारी पूजा।
कुमारी पूजा क्या है?
कुमारी पूजा में 10 साल से कम उम्र की नन्हीं बच्चियों को देवी का स्वरूप मानकर पूजा जाता है। नवरात्रि के पहले दिन एक कुमारी पूजा, दूसरे दिन 2 और ऐसे ही नवमी के दिन 9 कुमारियों की पूजा होती है। कुल मिलाकर नवरात्रि में 45 कन्याओं का पूजन किया जाता है। ये परंपरा सिर्फ़ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि ये इस विश्वास का प्रतीक है कि बच्चों में ही भगवान बसते हैं।

कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) की अनोखी परंपरा
देशभर के शक्तिपीठों में कुमारी पूजा की जाती है, लेकिन कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) की कुमारी पूजा का महत्व अलग है। यहां पूजा के लिए चुनी गई कन्याओं को नए कपड़े पहनाए जाते हैं, आभूषण और फूलों से सजाया जाता है। उन्हें ख़ास आसन पर बैठाकर प्रसाद, मिठाइयां और उपहार भेंट किए जाते हैं। पूजा के दौरान चंडी पाठ और तांत्रिक मंत्रों का उच्चारण होता है। जब पूजा समाप्त होती है, तो पुजारी इन कन्याओं को गोद में उठाकर मंदिर की परिक्रमा कराते हैं। इस दौरान भक्त उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेते हैं।
मंदिर के पंडित धीरज शर्मा बताते हैं कि कन्याओं की पूजा करने से मां कामाख्या और मां दुर्गा का आशीर्वाद मिलता है। इस पर्व के दर्शन से ख़ास फल मिलता है और ये समय भक्तों के लिए बहुत शुभ और पवित्र होता है।
कन्याओं का अनुभव
कुमारी पूजा में शामिल बच्चियां भी इसे एक ख़ास अनुभव मानती हैं। अलास्मिता नाथ कहती हैं, ‘मुझे मंदिर आकर अच्छा लगता है। लोग हमारे पैर धोते हैं, टीका लगाते हैं, खाना खिलाते हैं और पैसे भी देते हैं।’ वहीं सुसमिता दास कहती हैं, ‘हमें फूलों की माला पहनाई जाती है, मिठाइयां दी जाती हैं। ये सब हमें बहुत अच्छा लगता है।’ इन मासूम बच्चियों की मुस्कान ही इस पूजा का सबसे पवित्र दृश्य बन जाती है।
कुमारी पूजा में भक्तों की आस्था
मंदिर परिसर में आए श्रद्धालु बताते हैं कि कुमारी पूजा उनकी ज़िंदगी में अहम हिस्सा रखती है। शैल यादव कहती हैं, ‘मैं हर साल कन्याओं को खिलाती हूं। मां से जो भी मांगा, हमेशा मिला है। विश्वास ही सबसे बड़ा बल है।’ अमन यादव कहते हैं, ‘नवरात्रि का महत्व हजारों साल से है। हम लोग हर साल यहां आते हैं और मां से आशीर्वाद पाते हैं। इस पूजा से हमारे परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।’ भक्तों का ये विश्वास ही कुमारी पूजा की आत्मा है।

क्यों होती है कुमारी पूजा?
कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) तांत्रिक साधना का एक प्रमुख केंद्र है। यहां की कुमारी पूजा उतनी ही पुरानी है जितना मंदिर का इतिहास। कहा जाता है कि देवी शक्ति की साधना और स्त्री शक्ति के सम्मान के लिए इस परंपरा की शुरुआत हुई थी। आज भी ये परंपरा उसी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जाती है। कुमारी पूजा इस मान्यता पर होती है कि छोटी कन्याएं देवी का रूप होती हैं।
उनके दिल में मासूमियत होती है और उनकी आत्मा एकदम साफ होती है। इसलिए उन्हें मां का प्रतीक माना जाता है। लोगों का विश्वास है कि कुमारी पूजा करने से हर इच्छा पूरी होती है। घर में सुख और शांति आती है। बीमारियां दूर हो जाती हैं और मन को सुकून मिलता है। इसी वजह से नवरात्रि के समय दूर-दूर से लोग कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple)में आते हैं और इस पूजा का हिस्सा बनते हैं।
कामाख्या मंदिर (Kamakhya Temple) की कुमारी पूजा नवरात्रि को एक अनोखा आयाम देती है। यहां बच्चियों की पूजा कर भक्त मां कामाख्या से जुड़ते हैं और विश्वास करते हैं कि देवी उनके जीवन को सुख, समृद्धि और शांति से भर देंगी।
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