प्रोफेसर कौसर मजहरी (Professor Kausar Mazhari) पूर्वी चंपारण जिले (बिहार) के मशहूर गांव चन्दरनबारा (Chandanbara) के रहने वाले है, जो वर्तमान में जामिया मिल्लिया इस्लामिया (Jamia Millia Islamia) में शिक्षक के रूप में कार्यरत है। कौसर उर्दू साहित्य के शिक्षक है, जिनकी किताबों से आज के युवा अपने सपनों को पूरा करते हैं। उनकी अबतक लगभग दो दर्जन पुस्तकें, कई मोनोग्राफ प्रकाशित हो चुके है।
प्रोफेसर कौसर मजहरी की शुरुआती शिक्षा गांव के मकतब में हुई। 10 वीं पास करने के बाद मोतिहारी से आईएससी और बीएससी किया। उसके कुछ दिनों बाद पटना चले गए, जहां यूपीएससी और बीपीसी की तैयारी की। उसी समय बिहार यूनिवर्सिटी मुजफ्फरपुर से उर्दू ऑनर्स की परीक्षा भी दी, जिसमें में प्रथम स्थान हासिल हुआ। उसके बाद उर्दू में एमए में दाखिला लिया, धीरे धीरे उनका झुकाव और रुझान साहित्य की ओर हो गया।
प्रोफेसर कौसर मजहरी कहते हैं वर्तमान समय में उर्दू की हालत, उसके विकास और उर्दू छात्रों के बारे में वो कहते हैं कि हम उर्दू साहित्य को देखें, तो कहना होगा कि उर्दू साहित्य एक सीमा है, भाषा की एक सीमा है। इस साहित्य ने विदेशों में भी अपना नाम कमाया है, लेकिन जब उसका साहित्य स्थानांतरित होता है, तो अन्य लोग भी प्रभावित होते हैं और इसे पढ़ते हैं।
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