13-Nov-2025
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AMU का Incubation Centre बना इनोवेशन हब: मोहम्मद उज़ैर आलम ने बनाया Fixed-Wing Delivery Drone

मोहम्मद उज़ैर आलम के इस इनोवेटिव आइडिया को AMU के Incubation Centre से नई उड़ान मिली है। ये सेंटर स्टूडेंट्स को पढ़ाई और रिसर्च के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे मिशन से जोड़ने में अहम भूमिका अदा कर रहा है।

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के एक होनहार इंजीनियरिंग के स्टूडेंट मोहम्मद उज़ैर आलम ने टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक नया मुक़ाम हासिल किया है। उन्होंने एक स्मार्ट डिलीवरी ड्रोन तैयार किया है, जो न सिर्फ़ वक्त की बचत करेगा बल्कि दूर-दराज़ के इलाकों तक सामान पहुंचाने को भी आसान बना देगा। उनकी ये उपलब्धि साबित करती है कि अगर जुनून और मेहनत हो, तो कोई भी अपनी सोच को उड़ान दे सकता है।

AMU Incubation Centre से मिली नई दिशा

मोहम्मद उज़ैर आलम के इस इनोवेटिव आइडिया को AMU के Incubation Centre से नई उड़ान मिली है। ये सेंटर स्टूडेंट्स को पढ़ाई और रिसर्च के साथ-साथ ‘मेक इन इंडिया’ और ‘स्टार्टअप इंडिया’ जैसे मिशन से जोड़ने में अहम भूमिका अदा कर रहा है। यहां स्टूडेंट्स को फंडिंग, लैब सपोर्ट और एक्सपर्ट गाइडेंस जैसी सुविधाएं मिलती हैं, जिससे उनके आइडियाज़ सिर्फ़ सोच तक सीमित नहीं रहते, बल्कि एक प्रोजेक्ट बन जाते हैं।

स्कूल के दिनों से शुरू हुआ सफ़र

मोहम्मद उज़ैर आलम, जो AMU में मैकेनिकल इंजीनियरिंग के थर्ड ईयर के स्टूडेंट हैं, बताते हैं कि उनकी ड्रोन टेक्नोलॉजी का सफ़र स्कूल के दिनों से ही शुरू हुआ था। उन्होंने DNN24 को बताया कि ‘जब मैं क्लास 11th में था, तब मैंने सबसे पहले सिंपल एयरक्राफ्ट बनाना शुरू किया। धीरे-धीरे टेक्नोलॉजी में रुचि बढ़ती गई और मैंने अपना पहला ड्रोन चाइना से मंगवाए गए और कंपोनेंट्स से खुद असेंबल किया।’ ये छोटा-सा ट्रायल आगे चलकर उनकी ज़िंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया।

शौक़ से जुनून तक का सफ़र

मोहम्मद उज़ैर आलम का ये शौक़ धीरे-धीरे उनके जुनून में बदल गया। कई ड्रोन बनाते-बनाते उन्होंने डिज़ाइनिंग, तकनीकी गणना (technical calculations) और मेंटेनेंस की बारीकियां सीख लीं। कॉलेज पहुंचने के बाद, उन्हें AMU के Incubation Centre और इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट की मदद मिली, जिससे वो कई ड्रोन मॉडल तैयार कर पाए। वो कहते हैं, ‘ड्रोन बनाना आसान नहीं है। जैसे साइकिल चलाना सीखने में कई बार गिरना पड़ता है, वैसे ही ड्रोन डिज़ाइन करते समय असफलताएं मिलती हैं। कभी ड्रोन पेड़ में फंस जाता, कभी क्रैश हो जाता। लेकिन हर गलती ने मुझे कुछ नया सिखाया।’

ड्रोन की बनावट और तकनीक

उज़ैर बताते हैं कि ड्रोन बनाने का प्रोसेस बहुत बारीकी से किया जाता है। सबसे पहले उसकी फ्यूज़लेज (बॉडी) तैयार की जाती है, फिर विंग्स का आकार फार्मूलों से तय किया जाता है। इसके बाद जोड़े जाते हैं इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स जैसे ESC (Electronic Speed Controller) जो मोटर को कंट्रोल करता है, प्रोपेलर, और फ्लाइट कंट्रोलर, जिसे वो ‘ड्रोन का दिमाग’ कहते हैं। अब तो ड्रोन में AI टेक्नोलॉजी भी जुड़ गई है। इसमें मिनी कंप्यूटर लगाया जाता है जो उड़ान के दौरान खुद फैसला लेता है। यानी अब ड्रोन सिर्फ़ मशीन नहीं, बल्कि सोचने वाला साथी बन चुका है।

‘मेक इन इंडिया’ से मिली मज़बूती

मोहम्मद उज़ैर आलम का मानना है कि भारत में ‘मेक इन इंडिया’ मिशन की वजह से ड्रोन टेक्नोलॉजी को नई रफ्तार मिली है। पहले जो पार्ट्स विदेशों से मंगाने पड़ते थे, अब वो भारत में ही बनने लगे हैं। उदाहरण के तौर पर, मोटर्स अब हैदराबाद में बन रही हैं और कई चिपसेट्स भी देश में तैयार किए जा रहे हैं। वो कहते हैं, ‘सरकार इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए कॉलेजों में Incubation Centre को फंड दे रही है। ये फंड स्टूडेंट्स को अपने आइडिया को हकीकत में बदलने का मौक़ा देता है। अगर हमें देश की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन को मज़बूत करना है, तो इस तरह की पहलें बहुत ज़रूरी हैं।’

हर असफल उड़ान से मिली सीख

मोहम्मद उज़ैर आलम मानते हैं कि हर सफल उड़ान के पीछे कई असफल कोशिशे छिपी होती हैं। वो हर टेस्ट फ्लाइट को रिकॉर्ड करते हैं और पूरी टीम के साथ उसका एनालिसिस करते हैं ताकि हर गलती से सीखकर अगले मॉडल को बेहतर बनाया जा सके। ये डिसिप्लेन और लगातार काम करने की कोशिश ही उनकी सफलता की असल राज़ है। मोहम्मद उज़ैर आलम का कहना है कि AMU का Incubation Centre स्टूडेंट्स के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। यहां न सिर्फ़ फंडिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर मिलता है, बल्कि नेटवर्किंग, रिसोर्सेज़ और एक्सपर्ट गाइडेंस भी मिलती है। यहीं से स्टूडेंट्स को अपने विचारों को एक असली प्रोजेक्ट में बदलने की प्रेरणा मिलती है।

मोहम्मद उज़ैर आलम की कहानी सिर्फ़ एक स्टूडेंट की मेहनत नहीं, बल्कि उस नए भारत की तस्वीर है जो टेक्नोलॉजी, इनोवेशन और आत्मनिर्भरता के सपनों को साकार कर रहा है। उनकी उड़ान ये मैसेज देती है कि अगर अवसर और दिशा मिले, तो भारत के युवा किसी भी चुनौती को पार कर सकते हैं।

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