कश्मीर अपनी ख़ूबसूरती, वादियों और संस्कृति के साथ-साथ अपनी पारंपरिक कढ़ाई के लिए भी जाना जाता है। इसी विरासत को नई पहचान दे रहा है ‘Kashmir Ki Kali’, एक ऐसा फ़ैशन कलेक्शन जो सिर्फ़ कपड़े नहीं बनाता, बल्कि कश्मीर की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में भी काम करता है।
सुजाता की सोच से जन्मा एक ख़ास ब्रांड
‘Kashmir Ki Kali’ की फाउंडर सुजाता का कश्मीर से रिश्ता सदियों पुराना है। वो खुद कश्मीरी हैं और कहती हैं कि उनके परिवार का जुड़ाव लंबे समय से कश्मीर से रहा है। सुजाता बताती हैं, “मैंने हमेशा सोचा कि कश्मीर की उन महिलाओं के लिए कुछ किया जाए, जो घर और बच्चों की ज़िम्मेदारी निभाने के बाद भी अपने हुनर से कुछ करना चाहती हैं।” यही सोच आगे चलकर एक ब्रांड और एक मिशन में बदल गई।
उमीद संगठन से जुड़कर मज़बूत हुई पहल
अपनी इस सोच को ज़मीन पर उतारने के लिए सुजाता नेशनल रूरल लाइवलीहुड मिशन से जुड़ी और संस्था उम्मीद के संपर्क में आईं। इस संगठन ने उन्हें कश्मीर की ग्रामीण महिलाओं से जोड़ा, जो पारंपरिक कढ़ाई में माहिर थीं। इसके बाद महिलाओं को डिज़ाइन, रंगों और कपड़ों को लेकर नई समझ दी गई। सुजाता ने खुद डिज़ाइन तैयार किए और महिलाओं ने उनमें अपनी कढ़ाई से जान डाल दी।
‘Kashmir Ki Kali’ कलेक्शन की ख़ासियत है कि इसमें परंपरा और मॉडर्न फ़ैशन का बैलेंस दिखाई देता है। कलेक्शन में कश्मीर की मशहूर आरी, सोज़नी और तिल्ला कढ़ाई का इस्तेमाल करती है, लेकिन इन्हें आज के पहनावे के हिसाब से पेश किया गया है। ये कलेक्शन ख़ासतौर पर रोज़मर्रा के पहनावे के लिए तैयार किया गया है, ताकि लोग पारंपरिक कढ़ाई को आसानी से अपनी लाइफस्टाइल का हिस्सा बना सकें।

सुजाता के डिज़ाइनों में कश्मीर का नेचर साफ़ झलकता है। वुलर झील की बत्तखें, डल झील के रंग-बिरंगे किंगफिशर पक्षी, चिनार के पत्ते और कश्मीर के फूल सब कुछ कढ़ाई के ज़रिए कपड़ों पर उतारा गया है। सुजाता बताती हैं कि चिनार बहुत बार देखा जा चुका है, इसलिए उन्होंने इसे नए तरीके से पेश करने की कोशिश की, ताकि लोग कश्मीर की ख़ासियत को नए नज़रिए से देख सकें।
महिलाओं की आमदनी और आत्मविश्वास में बदलाव
Kashmir Ki Kali पहल का सबसे बड़ा असर उन महिलाओं की ज़िंदगी में देखने को मिला है जो इससे जुड़ी हैं। कई महिलाएं ऐसी हैं जिनके परिवार की आमदनी सीमित है पति ड्राइवर हैं या दिहाड़ी मज़दूर। Kashmir Ki Kali से जुड़ने के बाद इन्हें नियमित काम और ऑर्डर मिलने लगे, जिससे परिवार की आमदनी बढ़ी और महिलाओं का आत्मविश्वास भी मज़बूत हुआ। अब ये महिलाएं खुद को सिर्फ़ गृहिणी नहीं, बल्कि एक कारीगर और कमाने वाली महिला के रूप में देखती हैं।
डिजिटल दौर के साथ बदला अंदाज़
आज के फ़ैशन की तेज़ रफ़्तार को समझते हुए सुजाता ने पारंपरिक कढ़ाई को कंटेम्पररी टच दिया है। उन्होंने डिजिटल प्रिंट और हाथ की कढ़ाई को मिलाकर नए डिज़ाइन तैयार किए। मुगल थीम पर आधारित शॉल, राजा-रानी वाले डिज़ाइन, और हर मौसम में पहने जा सकने वाले फैब्रिक इस कलेक्शन का हिस्सा हैं। सिल्क और पॉलिएस्टर के मिश्रण से बने कपड़े पारंपरिक होने के साथ-साथ आरामदायक भी हैं।
सुजाता बताती हैं कि इस स्टार्टअप की शुरुआत आसान नहीं रही। फंडिंग और एक्सपोज़र सबसे बड़ी चुनौतियां थीं। सुजाता मानती हैं कि ग्रामीण महिलाओं के साथ काम करने के लिए आर्थिक सहयोग बेहद ज़रूरी होता है। वो भविष्य में MSME जैसी सरकारी योजनाओं से जुड़कर इस काम को और आगे बढ़ाना चाहती हैं।

कश्मीर की रूह को कपड़ों में उतारने की कोशिश
सुजाता कहती हैं कि कश्मीर सिर्फ़ एक जगह नहीं, एक एहसास है। यही एहसास उन्होंने अपने डिज़ाइनों के ज़रिए कपड़ों पर उतारने की कोशिश की है। ग्राहकों की प्रतिक्रिया भी बेहद सकारात्मक रही है। लोगों को ये कलेक्शन अलग और ख़ास लगता है। ‘Kashmir Ki Kali’ सिर्फ़ एक फ़ैशन ब्रांड नहीं, बल्कि कश्मीर की महिलाओं को सशक्त बनाने की एक प्रेरणादायक पहल है। आने वाले समय में सुजाता का लक्ष्य है कि और ज़्यादा महिलाओं को इससे जोड़ा जाए और कश्मीर के हुनर को देश-दुनिया तक पहुंचाया जाए।
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