करीमपुर, पश्चिम बंगाल के अर्पण बनर्जी पिछले 22 सालों से पश्चिम बंगाल के छह से सात अनाथालयों और पांच से ज्यादा वृद्धाश्रम में जरूरतमंदों का ख्याल रखते है। अर्पण ख़ास अफसरों पर इन लोगों को तोहफे और कपड़े देते है। ख़ास बात यह है कि अर्पण ने इस काम की शुरूआत अपने खुद के खर्च पर ही की थी और आज भी अपनी कमाई के आधे से ज्यादा हिस्सा लगाकर यह काम कर रहे है।
लेकिन इसके पीछे की कहानी शुरू होती है उनके बचपन से। बचपन में उनके परिवार ने उन्हें सातवीं – आठवीं क्लास की पढ़ाई के दौरान एक आश्रम में भर्ती करा दिया था। तब अर्पण ने देखा कि आश्रम में कुछ बच्चे ऐसे भी थे जिनसे मिलने कोई नहीं आता था क्योंकि शायद उनका कोई अपना ही नहीं था। तब उस छोटी उम्र मे अर्पण ने सोच लिया था कि जिनका कोई नहीं वह उनका परिवार बनेंगे।
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