उत्तर प्रदेश का ज़िला भदोही कालीन शहर के नाम से मशहूर है। मुगल काल में भदोही में कालीन बनाने का काम शुरू हुआ था। आज दुनियाभर में यहां के कालीनों की काफी डिमांड है। ख़ासतौर पर मखमली और डिजाइनर हस्तिनिर्मित कालीनें भदोही में बनाई जाती हैं।
दिल्ली के नए संसद भवन में भदोही के बनाए गए कालीनें लगाई गई है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी संसद भवन में खूबसूरत भदोही के कालीनों को सराहा था। जिसके बाद से भदोही का ये बाज़ार और भी उछाल पर आ गया। संसद में लगी कालीनें उसको और शानदार बनाने का काम करती हैं।
भदोही के कालीन कारोबारी मोहम्मद ताजिम ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि उनका कालीनों का खानदानी काम है। उनके पूर्वज मुगलों के वक्त से ही कालीन का काम करते थे। इसके बाद उनकी अगली पीढ़ी इस कारोबार को देश दुनिया में बढ़ा रही हैं। पिछले सात सालों से वो सूरजकुंड मेले में स्टॉल लगाते रहे हैं।
ताजिम ने बताया कि कालीन बनाने के लिए चार पड़ाव होते हैं डिज़ाइन बनाना, रंगाई, बुनाई और तैयार कालीन की धुलाई की जाती है। कारोबारी बताते हैं कि कालीन 3500 से लेकर ढाई लाख रूपये तक बेची जाती है और इसकी भारत समेत दुनिया के बहुत सारे देश में मांग हैं।
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