अमंड मुंडा (Aman Munda) ने जूट से बनाई नई राह, जो स्टाइलिश भी है और पर्यावरण के लिए फायदेमंद भी। एक छोटा सा प्लास्टिक बैग, जिसे आप कुछ मिनट इस्तेमाल करते हैं, उसे मिट्टी में घुलने में 500 साल लग जाते हैं। हर साल लगभग 80 लाख टन प्लास्टिक कचरा समुद्र में जाता है, जिससे लाखों समुद्री जीव मारे जाते हैं।
इन्हीं समस्याओं को समझते हुए झारखंड के युवा अमंड मुंडा ने जूट से ऐसे प्रोडक्ट्स बनाना शुरू किया जो न सिर्फ पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि दिखने में भी स्टाइलिश और टिकाऊ हैं। विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर अमंड मुंडा जैसे युवाओं की सोच और प्रयास हमें सिखाते हैं कि बदलाव की शुरुआत हमसे हो सकती है — बस इरादा होना चाहिए।
झारखंड के मशहूर जूट बैग
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जूट उत्पादक देश है। ये 100% प्राकृतिक और बायोडिग्रेडेबल फाइबर न सिर्फ़ मिट्टी में घुल जाता है बल्कि मिट्टी को उपजाऊ भी बनाता है। यही नहीं, जूट हज़ारों किसानों की आजीविका का ज़रिया भी है। रांची के अमंड मुंडा (Aman Munda) की मां को पर्यावरण की चिंता थी। उन्हें लगता था कि प्लास्टिक धरती को तबाह कर रहा है इसलिए उन्होंने ऑप्शन खोजा। तब उन्होंने जूट बैग बनाना शुरू किए।

शुरुआत में ये एक छोटा कदम था, लेकिन आज यह एक बड़ा बदलाव बन गया है। आज अमन उनके काम को आगे बढ़ा रहे है। पहले उनकी टीम में काफी कम लोग थे,लेकिन लोगों की डिमांड को देखते हुए उनकी टीम भी बढ़ गई। हुनर और हाथों से बनी उम्मीद अमन की टीम आज टिफिन बैग, शॉपिंग बैग, फैंसी बैग, बोतल कवर और लैपटॉप बैग बनाती है। इन बैग्स पर हाथों से की गई पेंटिंग हर एक प्रोडक्ट को ख़ास बनाती है। इन बैग पर मशीन से सिलाई की जाती है, लेकिन डिज़ाइन और सजावट हाथों से होता है।
सिर्फ़ पर्यावरण नहीं, रोज़गार भी दे रहे हैं
अमंड मुंडा (Aman Munda) की इस कोशिश से झारखंड की आदिवासी महिलाओं को रोज़गार मिलने लगा है। सारे बैग ट्राइबल महिलाएं अपने हाथों से बनाती हैं। इससे उनकी प्रतिभा को पहचान मिल रही है और उनके परिवारों की आमदनी में इज़ाफा हुआ है। एक टिफिन बैग 100 रुपये में और बड़ा या फैंसी बैग 600 रुपये तक में मिल जाता है। अब उनकी टीम बांस, टेराकोटा और ढोकरा जैसी पारंपरिक चीज़ों से भी नए उत्पाद बना रही है जैसे जूट चप्पल, मैट और झूले। इससे पारंपरिक कला को बढ़ावा मिल रहा है और लोकल लोगों को काम भी।
एक बैग, कई संदेश
सोचिए स्टाइलिश डिज़ाइन, ज़बरदस्त टिकाऊपन और वो भी इको-फ्रेंडली, आज स्मार्ट शॉपर्स, कॉर्पोरेट्स, यहां तक कि बच्चों के स्कूल बैग्स तक में जूट का जलवा है। झारखंड के अमंड मुंडा (Aman Munda) जैसे युवा इस ग्रीन रेवोल्यूशन के हीरो हैं। जूट की पारंपरिक कला को मॉडर्न ट्विस्ट देकर बेहतरीन बैग्स बना रहे हैं। तो फिर क्यों चुनें प्लास्टिक का अंधेरा? जूट अपनाएं धरती बचाएं क्योंकि ये सिर्फ़ एक बैग नहीं ये आपके भविष्य का वादा है। अगर आप ये बैग खरीदना चाहते हैं तो ‘CHOTANAGPUR CRAFTS’ नाम से उनका एक स्टोर है। पता: Jute Bag Mfg. Unit, Road No. 3, Hawai Nagar, Ranchi।

हर घर में इको-फ्रेंडली विकल्प हो
अमंड मुंडा (Aman Munda) सिर्फ़ बैग बनाने तक सीमित नहीं रहना चाहते। वो चाहते हैं कि हर घर में इको-फ्रेंडली प्रोडक्ट्स हों। वो जूट को डेनिम और दूसरे फैब्रिक के साथ मिलाकर नए डिज़ाइन बना रहे हैं। उनका सपना है कि झारखंड को इको-फ्रेंडली उत्पादों का हब बनाया जाए। अमन मुंडा की कहानी बताती है कि एक शख्स का सपना पूरे समाज को बदल सकता है। उनका हर बैग सिर्फ़ एक स्टाइलिश आइटम नहीं, बल्कि एक संदेश है-एक स्वच्छ, सुंदर और सुरक्षित धरती के लिए। अगली बार जब आप बैग खरीदने जाएं, तो अमंड मुंडा (Aman Munda) की कहानी याद कीजिए और एक ग्रीन अल्टरनेटिव चुनिए।
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