ये कहानी है उस महिला की जिसने अपना सबकुछ खो देने के बाद भी कभी हिम्मत नहीं हारी। पति के मरने के बाद समाज की रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ अपनी ज़िंदगी के सफर पर बिना डगमगाए आगे बढ़ती गईं।
उत्तर प्रदेश के शहर बिजनौर की रहने की वाली नरगिस ख़ान ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से उर्दू लिटरेचर में मास्टर्स किया। नरगिस ख़ान के शौहर का इंतकाल 2005 में हुआ था। शौहर के इंतकाल के बाद वो अकेले पड़ गई थीं और दो बेटों की ज़िम्मेदारी उनके ही ऊपर आ गई थी।
नरगिस ने आवाज़ द वॉयस को बताया कि 1996 में उनके पति वली मोहम्मद ने ‘एकता सुधार समिति’ एनजीओ की शुरुआत की थी। आज यही एनजीओ उनकी ज़िंदगी जीने का सहारा है। वो बताती हैं कि ‘मैने अपने शौहर साथ मिलकर बुजुर्गों के एजुकेशन पर भी ध्यान दिया। हमारे एनजीओ के ज़रिए उनको पढ़ाया।”
वह खुद सिलाई और कढ़ाई में स्किल हैं। उन्होंने अपने एनजीओ के जरिए कई लड़कियों को सिलाई और कढ़ाई सिखाई। वहीं कुछ कंप्यूटर लगाकर छात्रों को कंप्यूटर कोर्स करवाया। उन्होंने इंग्लिश स्पीकिंग कोर्स भी कराया और दिल्ली पुलिस के साथ मिलकर सेल्फ डिफेंस की क्लासेस दीं।
नरगिस अब पूरी तरह से एनजीओ के कामों में मसरूफ रहती हैं। नरगिस कहती हैं कि ‘जिदंगी के सफर में गिरी भी हूं और पूरी हिम्मत के साथ खड़ी भी हूं। संघर्ष की इस जंग में बिना डरे आगे बढ़ती भी जा रही हूं।’
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