हमारे समाज में ऐसी धारणा है कि महिलाएं मस्जिद में नमाज अदा नहीं कर सकती, लेकिन ऐसा नहीं है। झारखंड के जमशेदपुर में महिलाओं के लिए अलग से मस्जिद का निर्माण किया जा रहा है। डेढ़ एकड़ में ये आलीशान मस्जिद बनाई जा रही है। इस मस्जिद को स्थानीय समाजसेवी डॉ. नूरज्जमां ख़ान बनवा रहे हैं। ये देश की पहली मस्जिद होगी, जिसमे एक साथ 500 महिलाएं पांच वक्त की नमाज अदा कर सकेंगी। उम्मीद है कि साल के अंत तक मस्जिद निर्माण मुकम्मल हो जायेगा।
नमाज पढ़ने के अलावा, यहां महिलाओं को दीनी तालीम मिल सकेंगी इसके अलावा, तरावीह और सामूहिक बैठकें भी कर पाएंगे। केवल महिलाओं के लिए मस्जिद बनवाने को लेकर विवाद भी शुरू हो गए थे। डॉ. नूरज्जमां ख़ान कहती है कि जब महिलाओं के लिए इस मस्जिद को बनाने का फैसला लिया था तो कई लोगों ने इसका विरोध भी किया, लेकिन मैंने ठान रखा था कि इस काम को ज़रूर पूरा करना है डॉ. नूरज्जमां ख़ान का मानना है कि जब महिलाएं पुरूषों के साथ हज कर सकती है तो मस्जिद जाने में एतराज किस बात का।
इस मस्जिद में महिलाएं बिना किसी बंदिश के धार्मिक रीतियों के पालन के साथ ही आपस में मिलकर नई-नई चीजों को सीखकर जीवन के नए पहलुओं को सीखेंगी और अंधविश्वास को दूर कर सकेंगी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में हलफ़नामा दायर कर कहा है कि मस्जिद में मुसलमान महिलाओं के नमाज़ पढ़ने पर कोई रोक नहीं है लेकिन मस्जिद में महिला और पुरुष को मेल-मिलाप की इजाज़त नहीं है। पुणे स्थित एक महिला फ़रहा अनवर हुसैन शेख़ ने सुप्रीम कोर्ट में संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत महिलाओं के मस्जिद में प्रवेश और नमाज़ पढ़ने की अनुमति को लेकर याचिका दायर की थी।
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