बल्लभगढ़, देश की राजधानी से कुछ ही किलोमीटर दूर, कलंदर समुदाय (The Kalandar community) इस कठिनाई में फंसी हुई है। पूर्वजों की कमाई के साधन गंवा देने के कारण, उनके पास बस कबाड़ बीनने के अलावा कोई विकल्प नहीं रहा। इस समुदाय के पास न तो जमीन है, न ही निजी घर। कुछ लोगों ने कब्रिस्तान में झुग्गी बनाई है, जबकि अन्यों ने निजी जमीन पर ठहराना चुना है।
शिक्षाहीनता के कारण, कलंदर समुदाय को न सरकारी योजनाओं की जानकारी मिलती है, न ही उनका लाभ। सरकार से अपील है कि इन बच्चों के लिए स्कूल और रहने के लिए ठिकाना उपलब्ध कराएं ताकि वे सामाजिक मुख्यमंत्री से जुड़कर अपनी प्रगति कर सकें। यह आपदा उनकी आर्थिक स्थिति को कमजोर कर रही है।
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