नाज़िया ख़ान आज उन बेहतरीन महिला रचनाकारों में से ऐसा नाम है जो फिक्शन के साथ नॉन फिक्शन भी कमाल का लिखती है। सोशल मीडिया पर नाज़िया जब एक पोस्ट लिखती है तो वह मौजूदा पीढ़ी को एक संदेश दे रही होती है।
नाज़िया ने आवाद द वॉयज को बताया कि “बचपन से पढ़ना मेरी आदत नहीं मेरा पैशन रहा है। मैंने लिखना बचपन से ही शुरू कर दिया था। मेरा लिखा हुआ बाल पत्रिकाओं और अख़बारों में प्रकाशित भी होता था। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान लिखना कम हो गया। मेडिकल की पढ़ाई के दौरान लिखना कम हो गया। 2013 में नाज़िया ख़ान ने शासकीय मेडिकल ऑफिसर की अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया कारण था अपने नवजात बेटे और दो साल की बेटी की देखभाल करना। नौकरी और बच्चों की देखभाल करना उनके लिए मुश्किल हो रहा था। लेकिन इस परेशानी से उन्हें लेखन का विषय मिला।
इस दौरान नाज़िया ख़ान ने गर्भावस्था और शिशु देखभाल, परवरिश सीखने सिखाने के रोमांचक यात्रा पर दो किताबें लिखी। इसके बाद उन्होंने गंभीरता से साहित्य पढ़ना शुरू किया और खासतौर पर विश्व साहित्य को समझा।
नाज़िया जोर देती है, “पेरेंटिंग ऐसा विषय है, जिसे सीखने की ज़रूरत है, ऐसा हम मानते ही नहीं। शादी हुई है तो बच्चे होंगे ही। हुए हैं तो बड़े हो ही जाएंगे, हमारे पेरेंट्स ने कौनसा कोर्स किया था या किताब पढ़ी थी, यही सोच है लोगों की। इसलिये इन विषयों पर लिखना मुझे ज़रूरी लगता है।
चिकित्सा और लेखन के साथ-साथ नाज़िया ख़ान समाजसेवा में भी सक्रिय हैं और स्माइलिंग हार्ट्स नाम के स्वयंसेवी संगठन की सचिव हैं। वह बताती हैं, “हमलोग शिक्षा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में सेवाएं देते हैं।
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