कश्मीर की युवा कलाकार, फिरदौसा बशीर, अपनी ख़ूबसूरत इस्लामिक सुलेख कला के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने अपनी इस कला के ज़रिए न सिर्फ़ खुद को बल्कि अपनी community को भी गौरवान्वित किया है। फिरदौसा ने इस्लामिक साहित्य पढ़ने के लिए एक मदरसे में दाखिला लिया था। लेकिन उन्हें सुलेख कला में इतनी दिलचस्पी थी कि उन्होंने इस कला को सीखने का फैसला कर लिया। उन्होंने YouTube पर एक वीडियो देखा जिसमें एक लड़की सुलेख कर रही थी। उस वीडियो ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उन्होंने खुद भी सुलेख करना शुरू कर दिया।
शुरुआत में उनके परिवार ने उनके इस फैसले का पूरा समर्थन नहीं किया। उन्हें लगता था कि सुलेख से उनका भविष्य नहीं बनेगा। लेकिन फिरदौसा ने अपनी मेहनत और लगन से साबित कर दिया कि ba इस कला में माहिर हो सकती हैं। कश्मीर में सुलेख कला को लेकर लोगों का ज़्यादा उत्साह नहीं था। लेकिन फिरदौसा ने अपनी कला के ज़रिए लोगों को इस कला की तरफ आकर्षित किया। उन्होंने कई workshops किए और प्रदर्शनियों में हिस्सा लिया। फिरदौसा आज कश्मीर के युवाओं के लिए एक मिसाल हैं। उन्होंने दिखाया है कि अगर आप मेहनत करते हैं तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं।
फिरदौसा बशीर की कहानी हमें बताती है कि अगर आप अपने लक्ष्य को लेकर दृढ़ हैं तो आप किसी भी मुश्किल परिस्थिति में सफल हो सकते हैं।
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