17-May-2024
HomeENTERTAINMENTउर्दू के भविष्य पर अज़रा नकवी: "जुबान को रोजी-रोटी से जोड़ना ज़रूरी"

उर्दू के भविष्य पर अज़रा नकवी: “जुबान को रोजी-रोटी से जोड़ना ज़रूरी”

नोएडा स्थित रेख्ता फाउंडेशन (REKHTA FOUNDATION) के साथ काम करने वाली उर्दू कवि (Urdu Poet) और लघु कथाकार अज़रा नकवी (Azra Naqvi) ने कम उम्र में उर्दू साहित्य (Urdu Literature) और सामदायिक सेवा में रूचि लेना शुरू कर दिया था। दिल्ली में जन्मी इस कवयित्री के पास जामिया मिल्लिया परिसर औऱ बारा हिंदू राव में शफीक मेमोरियल स्कूल में रहने की यादें है। आज वो उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा में रहती है।

70 साल की उम्र में, अज़रा नकवी एक कवि, लेखक और अनुवादक के रूप में अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के लिए जानी जाती हैं, कम ही लोग जानते होंगे कि उन्होंने सामुदायिक सेवा भी की है, बाहरी सेवा प्रभाग (उर्दू सेवा) के लिए उद्घोषक और डिस्क जॉकी के रूप में काम किया है।

उन्होंने आवाज़ द वॉयस को बताया कि “मेरी उदार परवरिश के कारण, मैं सभी पूजा स्थलों पर जाती रहती हूँ। मैं तिरूपति, बंगला साहिब और शीश गुरुद्वारा के दर्शन भी कर चुकी हूं।” अज़रा के नाम 11 उर्दू किताबें हैं। वह कहती हैं, “लोगों को उर्दू पढ़ना और लिखना सीखना चाहिए। यह देखकर बहुत निराशा होती है कि प्रसिद्ध उर्दू कवियों के बच्चे भी उर्दू नहीं जानते है। पूरे भारत में राज्य सरकारों को उर्दू स्कूलों की दयनीय स्थिति पर ध्यान देने की जरूरत है। उत्तर प्रदेश में नई पीढ़ी उर्दू नहीं जानती जो उनकी मातृभाषा है।”

इस ख़बर को पूरा पढ़ने के लिए hindi.awazthevoice.in पर जाएं।

ये भी पढ़ें: ‘तहकीक-ए-हिंद’: उज़्बेकिस्तान में जन्मे अल-बीरूनी का हिंदुस्तान की सरज़मीं से ख़ास रिश्ता

आप हमें FacebookInstagramTwitter पर फ़ॉलो कर सकते हैं और हमारा YouTube चैनल भी सबस्क्राइब कर सकते हैं।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments