ब्रिगेडियर डॉ. मुख़्तार आलम एक प्रेरणादायक इंसान हैं। वह भारतीय सेना में एक वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं और साथ ही एक डॉक्टर, लेखक और शिक्षक भी हैं। उन्होंने मेडिकल शिक्षा में शानदार प्रदर्शन किया, एमबीबीएस और एमडी में सात स्वर्ण पदक जीते। पुणे विश्वविद्यालय के एएफएमसी में भी उन्होंने पहले स्थान पर आकर अपनी कड़ी मेहनत का उदाहरण पेश किया।
डॉ. आलम को साहित्य में भी गहरी रुचि है। उन्होंने हिंदी, उर्दू, मराठी और अंग्रेज़ी में 21 किताबें लिखी हैं। उनकी कुछ किताबें तो क़ुरान को सरल तरीके से समझाने के लिए लिखी गई हैं, ताकि हर आम आदमी भी इसे समझ सके। इसके अलावा, उन्होंने कई शोध पत्र भी प्रकाशित किए हैं, जो चिकित्सा के क्षेत्र में उनके योगदान को साबित करते हैं। डॉ. आलम का मानना हैं कि हमारे समाज में बदलाव लाने के लिए शिक्षा और सकारात्मक सोच बहुत ज़रूरी हैं। वह गरीब बच्चों को स्कूल यूनिफॉर्म और किताबें देते हैं, ताकि वे भी अच्छे से पढ़-लिख सकें। उनका कहना है कि नफरत को नफरत से नहीं, बल्कि प्रेम से ही खत्म किया जा सकता है।
डॉ. आलम सिखाते हैं कि हमें अपनी विविधताओं का सम्मान करना चाहिए और हम सब एक बड़े परिवार की तरह हैं। उनका जीवन और कार्य हमारे लिए एक प्रेरणा है, जो हमें प्यार, शांति और भाईचारे का महत्व समझाते हैं।
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