लगभग 50 साल पहले हाजरा बी के परिवार ने मध्य प्रदेश के रायसेन ज़िले के बेलागंज शहर में 4.36 एकड़ ज़मीन खरीदी थी। इस ज़मीन के एक छोटे से हिस्से में हनुमान मंदिर और एक हिस्से में दरगाह थी। वक्त के साथ मंदिर में भक्तों की तादाद बढ़ने लगी, जिसकी वजह से मंदिर का विस्तार किया गया। एक ही ज़मीन पर मंदिर और दरगाह होने से दोनों समुदायों के बीच कभी विवाद नहीं हुआ।
हाल ही में सरकार ने बीना परियोजना के तहत ज़मीन को अधिग्रहित (कब्जा) कर लिया। उन्होंने हाजरा बी मंसूरी और उनके परिवार को मुआवजे के रूप में पैसा दिया। परिवार ने पैसे रखने के बजाय इसे मंदिर और दरगाह को दान करने का फैसला किया। हाजरा बी के पति वकील अज़ीज़ ख़ान मंसूरी ने बताया कि “मंदिर उनके जमीन के 300 स्क्वायर फिट पर बना हुआ था, जिसका मुआवजा उन्हें 7 लाख 51 रुपये मिला, जबकि दरगाह की जमीन के 18 हज़ार रुपये।
पैसो का इस्तेमाल मंदिर के पुनर्निर्माण में किया जाएगा
18 सितंबर को अजीज ख़ान ने स्थानीय सरकारी अधिकारी एसडीएम सौरभ मिश्रा के सामने किया मुआवजे की पूरी रकम मंदिर समिति को सौंप दी। इन पैसों का इस्तेमाल हनुमान मंदिर को जहां भी स्थानांतरित किया जाए, उसके पुनर्निर्माण में किया जाना जाएगा।
48 साल के अजीज ख़ान मंसूरी एक वकील होने के साथ-साथ एक किसान भी हैं। उनकी पत्नी हाजरा बी हाउस वाइफ है। उनके दोनों बेटे पढ़ाई करते हैं। अजीज ख़ान के इस फैसले की कई लोगों ने आपत्ति भी जताई लेकिन उनका कहना था कि उन्हे इसकी परवाह नहीं है कि लोग क्या कहते हैं। उन्हे अल्लाह को जवाब देना है, मंदिर और दरगाह के लिए पैसा रखना उनके लिए सही नहीं है। उन्होने वो पैसा उन लोगों को दे दिया है जिनका ये पैसा है।
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