17-May-2024
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पतझड़ें भोगी हैं मैंने : शौकत हुसैन मंसूरी

ज़िंदगी में फैले अंधेरे को, मिटाने का आत्म विश्वास इंसानों को, स्वयं पैदा करना होता है

राजस्थान के उदयपुर में जन्मे शौकत हुसैन मंसूरी एक बेहतरीन कवि और कहानीकार है। उनकी अबतक चार किताबें प्रकाशित हो चुकी है। उनका पहला कहानी संग्रह ‘खोई हुई दिशाएं’ 1985 में और दूसरा कहानी संग्रह ‘दावानल’ 2022 में प्रकाशित हुआ। उनकी तीन पुस्तकें जल्द प्रकाशित होने वाली है, जिनमें नज़्म औऱ ग़ज़ल की किताब ‘यादों का सिलसिला’, उन्यास ‘आदम और हव्वा’, नाटक ‘दिशाहीन’ शामिल है।

शौकत हुसैन मंसूरी ने अपने लेखन से समाज में व्याप्त बुराइयों पर भी कड़ा प्रहार किया है, चाहे वह महिलाओं के प्रति बढ़ते अपराध हों, सांप्रदायिकता हो, रूढ़ियों में जकड़ी ज़िन्दगियां हों या फिर दरकती मानवीय संवेदनाएं हों। उन्होंने इस पर गंभीरता से चिंतन किया है। उनका कहना है कि 

ज़िंदगी में फैले अंधेरे को 

मिटाने का आत्म विश्वास इंसानों को 

स्वयं पैदा करना होता है

उनकी कविताओं की तरह ही कहानियों में भी जीवन से जुड़े सरोकार और अलग अलग मुद्दों पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी है। जो किसी भी संवेदनशील इंसान को उद्वेलित करती है।

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