जम्मू-कश्मीर के पुलवामा ज़िले का 9 साल का Usman Parvaiz आज पूरे देश के लिए हौसले और उम्मीद की मिसाल बन गया है। उस्मान बोल और सुन नहीं सकता, लेकिन उसके ख़्वाब बेहद ऊंचे हैं। उसकी आंखों में जीत का जो जज़्बा है, वही उसे सबसे अलग पहचान देता है। उसने कभी भी अपनी कमी को अपने सपनों में रुकावट नहीं बनने दिया, बल्कि उसी को अपनी ताक़त बनाया।
नेशनल लेवल पर हासिल की सफलता
छोटी सी उम्र में ही Usman ने खेल के मैदान में ऐसा कमाल कर दिखाया, जिसकी तारीफ हर जगह हो रही है। आंध्र प्रदेश में हुई 18वीं फ्लोर बॉल नेशनल चैंपियनशिप में उन्होंने अंडर-12 टीम के साथ मिलकर सिल्वर मेडल जीता। ये जीत सिर्फ़ एक मेडल नहीं, बल्कि मेहनत और आत्मविश्वास की जीत है। जिस खेल में तेज़ सोच, टीमवर्क और सही वक़्त पर फैसला लेना ज़रूरी होता है, वहां Usman Parvaiz ने खुद को साबित किया।
Usman Parvaiz के कोच तौसीफ़ अशरफ भट बताते हैं कि “मैदान पर Usman बहुत भरोसे के साथ खेलता है। वो बॉल को अच्छे से कंट्रोल करता है और सही मौक़े पर गोल करता है। नेशनल लेवल के मैचों में गोल करना आसान नहीं होता, लेकिन Usman Parvaiz ने कई अहम गोल कर दिखाए। उसकी मेहनत देखकर कोई ये नहीं कह सकता कि वो किसी तरह से कमज़ोर है।”

कोच की नज़र में Usman Parvaiz की मेहनत
तौसीफ़ अशरफ भट DNN24 को बताते हैं कि शुरुआत में उसे काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। बोलने की कमी की वजह से ट्रेनिंग में वक्त लगा, लेकिन उस्मान बहुत जल्दी सीखने वाला बच्चा है। कोच उसे इशारों और बॉडी मूवमेंट से समझाते हैं और वो आसानी से समझ जाता है। उसकी समझ और ध्यान देने की ताक़त बहुत मज़बूत है।
“Usman Parvaiz फिलहाल सेकेंड क्लास में पढ़ता है और फ्यूचर पैक सेकेंडरी स्कूल का स्टूडेंट है। पढ़ाई के साथ-साथ स्पोर्ट्स क्लब में रोज़ प्रैक्टिस करता है।” ट्रेनिंग के बाद भी वो घर पर सीखी गई तकनीकों को बार-बार दोहराता है। खेल उसके लिए सिर्फ़ शौक नहीं, बल्कि जुनून बन चुका है।
Usman की इस सफलता के पीछे उसके परिवार, कोच और समाज का बड़ा योगदान है। ज़िला प्रशासन और खेल डिपार्टमेंट ने भी उसका पूरा साथ दिया। एसएसपी, डिप्टी कमिशनर और कई अधिकारियों ने समय-समय पर उसकी मदद की। सोशल वर्कर और खेल संघों ने भी उसे नेशनल लेवल पर खेलने का मौक़ा दिया।

समाज और टीम का सहयोग
टीम के साथी खिलाड़ियों ने भी Usman Parvaiz को हमेशा सहारा दिया। उन्होंने कभी उसे अलग महसूस नहीं होने दिया। टीम ने उसे बराबरी का खिलाड़ी माना और यही भरोसा उसे आगे बढ़ाता रहा। खेल में सिर्फ़ व्यक्तिगत ताकत नहीं, बल्कि टीम का साथ भी जीत की बड़ी वजह बना। कोच कहते हैं कि “Usman Parvaiz की मुझे एक आदत पसंद हैं कि वो आंखों से ही सब कुछ समझ लेते हैं। कभी कभी कुछ गलतियां मुझसे होती हैं लेकिन उस्मान से गलती नहीं होती। Usman सिर्फ़ फ्लोर बॉल का ही नहीं मार्शल आर्ट का भी बेहतरीन खिलाड़ी हैं।”
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी पूरी टीम और ख़ास तौर पर Usman Parvaiz की जीत की सराहना की थी। ये उसके लिए एक बड़ा सम्मान है। इससे पहले भी Usman को कई पुरस्कार मिल चुके हैं। पुलवामा का ये छोटा सा बच्चा आज उन सभी बच्चों के लिए मिसाल है, जो किसी न किसी कमी की वजह से खुद को पीछे समझते हैं। Usman Parvaiz ने दिखा दिया कि अगर हौसला मज़बूत हो, तो खामोशी भी कामयाबी की सबसे तेज़ आवाज़ बन सकती है।
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