जम्मू-कश्मीर के बांदीपोरा ज़िले के एक छोटे से गांव में, जहां ज़्यादातर लोग खेतों में मेहनत करते और बच्चे पढ़ाई के बजाय काम में जुटे रहते थे, वहां एक लड़के ने अपनी नजरें आसमान की ओर उठाई जिसका नाम है ‘Kifayatullah Malik’। उनका बचपन आम बच्चों की तरह ही था लेकिन उनके मन में एक अलग जज़्बा पनप रहा था वो था दूसरों की मदद करने का। Kifayatullah बताते हैं कि बचपन से ही उनके मन में सोशल वर्क करने का ख़्याल था, लेकिन उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि ये उनका पेशा बन जाएगा।
सोशल वर्क की शुरुआत
Kifayatullah Malik एक आम किसान परिवार से ताल्लुक़ रखते हैं। घर के आर्थिक हालात ठीक नहीं थे लेकिन उनके दिल में एक चीज़ हमेशा से थी कि पढ़ाई से ही ज़िंदगी बदलेगी। वो बताते हैं कि, ‘गांव के बच्चे अक्सर दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ देते थे। कोई खेती करने लगता, कोई दिहाड़ी पर चला जाता’। Kifayatullah बताते हैं कि जब उन्होंने अपने गांव से बाहर कदम रखा, तो देखा कि बाकी बच्चे कितने अवसरों के साथ आगे बढ़ रहे थे और उनके गांव के बच्चे कितने पीछे रहे गए हैं। ये देखकर उनका मन अंदर से कांप उठा। उन्हें लगा कि, “अगर हमारे गांव के बच्चों को सही गाइडेंस मिले, तो उनकी ज़िंदगी बदल सकती है।”

शुरुआत में उन्होंने गांव के गरीब बच्चों की मदद करना शुरू किया। उन्होंने उनके लिए किताबें, कॉपियां, पेंसिल, यूनिफॉर्म और दूसरे ज़रूरी स्टेशनरी मुहैया कराया। धीरे-धीरे ये मदद हज़ारों बच्चों तक पहुंच गई। उन्होंने महसूस किया कि अगर इसे प्रोफ़ेशनल तरीके से किया जाए तो इसके रिज़ल्ट अच्छे होंगे। इस सोच के साथ उन्होंने सोशल वर्क में मास्टर्स किया, ताकि वो समाज सेवा को बेहतर तरीके से समझ सकें और बेहतर तरीके से काम कर सकें।
जब गांव में शिक्षा का माहौल बनाना एक मिशन बन गया
Kifayatullah Malik के गांव में एजुकेशन की बात करना कभी आसान नहीं था। लोगों का मानना था “पढ़ाई पेट नहीं भरती।” उन्होंने गांव-गांव जाकर बच्चों के पेरेंट्स से बात की, उन्हें समझाया कि पढ़ाई खर्च नहीं, निवेश है। कई बार उन्होंने स्कूलों में जाकर बच्चों से बात की। Kifayatullah ने महसूस किया कि सिर्फ़ किताबें देना ही काफी नहीं है। बच्चों को पढ़ाई में रुचि भी जगानी होगी। उन्होंने स्कूल में फन गेम्स और एक्टिविटीज़ आयोजित की। बच्चों को छोटे-छोटे गिफ्ट्स दिए, ताकि वो स्कूल आने के लिए उत्साहित हों। साथ ही, उन्होंने पेरेंट्स को भी समझाया कि बच्चों की पढ़ाई में उनका सहयोग कितना ज़रूरी है। धीरे-धीरे बच्चों में पढ़ाई के प्रति उत्साह और ज़िम्मेदारी विकसित हुई।

“Volunteers of Humanity” बदलाव की टीम
Kifayatullah Malik ने कुछ युवा दोस्तों के साथ मिलकर एक ग्रुप बनाया “ Volunteers of Humanity”। ये कोई संस्था नहीं, बल्कि दिल से काम करने वाले लोगों का परिवार है। ये लोग गांव-गांव जाकर ज़रूरतमंदों की मदद करते हैं कभी स्कूलों में किताबें बांटते हैं, तो कभी महिलाओं को मासिक स्वच्छता पर जागरूक करते हैं। Kifayatullah ने महसूस किया कि कश्मीर के कई इलाकों में नशा युवाओं को निगल रहा है।
उन्होंने अपनी टीम के साथ एक अभियान शुरू किया- ‘Youth Against Drugs’ इस अभियान के तहत वे गांव-गांव जाकर युवाओं को नशे के ख़तरे बताते हैं। ‘हमने देखा कि जिन युवाओं को सही दिशा दी गई, उन्होंने सिर्फ़ खुद नहीं, बल्कि दूसरों को भी बचाया।’ वो कहते हैं, ‘हमारा मकसद किसी को कमज़ोर दिखाना नहीं, बल्कि ये एहसास दिलाना है कि हर इंसान के अंदर बदलाव की ताक़त है।’
REACHA के साथ नई राह
2024 में Kifayatullah Malik ने REACHA (Research and Extension Association for the Conservation of Horticulture and Agroforestry) से जुड़े। ये संगठन युवाओं को शिक्षा, जीविका और पर्यावरण संरक्षण से जोड़ता है। वो बताते हैं, ‘हम SMART Project पर काम कर रहे हैं, जिसका मकसद है शिक्षा, डिजिटल क्लासरूम और ई-लर्निंग, जीविका (Livelihood): स्किल डेवलपमेंट से आत्मनिर्भरता , वित्त (Finance): बैंकिंग और वित्तीय समझ, शासन (Governance): सरकारी योजनाओं की जानकारी और पहुंच।
भविष्य की राह
अब Kifayatullah Malik एक बड़ा सपना देख रहे हैं एक ऐसा एनजीओ जो कश्मीर, लद्दाख और पहाड़ी इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य और आत्मनिर्भरता पर काम करे। वो कहते हैं, ‘हम सिर्फ़ मदद नहीं करना चाहते, हम चाहते हैं कि लोग खुद मददगार बनें। हर गांव में एक ‘यूथ लीडर’ तैयार हो जो अपने इलाके का चेहरा बदल सके।’ Kifayatullah को अपनी कोशिशों के लिए कई सम्मान मिल चुके हैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से President’s Award, Global Human Rights अवॉर्ड , Ambassador of Humanity अवॉर्ड, Best Van Mitra अवॉर्ड मिल चुके हैं।

युवाओं के लिए संदेश
Kifayatullah Malik का मानना है कि,’सोशल वर्क बाय चॉइस होना चाहिए, बाय चांस नहीं। अगर आप सिर्फ़ नाम या शोहरत के लिए काम करते हैं, तो लोग भूल जाएंगे। लेकिन अगर आप दिल से काम करते हैं, तो लोग आपको याद रखेंगे।’ वो युवाओं से कहते हैं कि, ‘सफलता तब नहीं है जब आप अकेले आगे बढ़ें, सफलता तब है जब आप किसी और को साथ लेकर आगे बढ़ें।’ उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी बदलाव संभव है, और एक इंसान की मेहनत और इरादे से पूरे समुदाय का भविष्य बदला जा सकता है।
ये भी पढ़ें: पत्थरों की रगड़ और पानी की धार: Zulfikar Ali Shah की उस चक्की की दास्तान जो वक़्त के साथ नहीं थमी
आप हमें Facebook, Instagram, Twitter पर फ़ॉलो कर सकते हैं और हमारा YouTube चैनल भी सबस्क्राइब कर सकते हैं।
