भारत में राजाओं और नवाबों की जीवनशैली हमेशा चर्चा का विषय रही है। इनमें से एक थे जूनागढ़ के नवाब महाबत ख़ान तृतीय, जिनका कुत्तों से ख़ास लगाव था। उन्होंने करीब 800 कुत्ते पाल रखे थे, जिनके लिए अलग-अलग कमरे और देखभाल करने वालों की व्यवस्था की गई थी। अगर किसी कुत्ते की मृत्यु हो जाती, तो उसे तमाम रस्मों-रिवाज़ के साथ दफ़नाया जाता और शोक संगीत बजता।
1898 में जन्मे नवाब महाबत ख़ान को उनके प्रिय कुत्ते रोशनआरा की भव्य शादी के लिए सबसे ज़्यादा जाना जाता है। 1922 में रोशनआरा की शादी बॉबी नामक गोल्डन रिट्रीवर से हुई थी। इस दिन राजकीय अवकाश घोषित किया गया था और रोशनआरा को चांदी की पालकी में ले जाया गया था। दुल्हे को 25 कुत्तों के नेतृत्व में जुलूस में लाया गया था, जिन्होंने सोने के कंगन पहने थे। नवाब ने इस शादी में तमाम राजा-महाराजाओं को आमंत्रित किया था।
इस भव्य शादी में करीब डेढ़ लाख से ज़्यादा मेहमान शामिल हुए थे। नवाब महाबत ख़ान के इस शौक का ज़िक्र विख्यात इतिहासकार डॉमिनिक लॉपियर और लैरी कॉलिन्स ने अपनी किताब ‘फ्रीडम एट मिडनाइट’ में भी किया है। रोशनआरा को शादी के दौरान सोने के हार, ब्रेसलेट और महंगे कपड़े पहनाए गए थे। मिलिट्री बैंड के साथ 250 कुत्तों ने रेलवे स्टेशन पर इनका स्वागत किया था। नवाब महाबत ख़ान ने गिर शेरों के संरक्षण और गिर गायों के प्रजनन कार्यक्रम की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
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