भारतीय डाक विभाग ने रामायण के सम्मान में अलग-अलग युगों में डाक टिकट जारी की हैं। विभिन्न भाषाओं में रामायण लिखने वाले संतों और कवियों को भी सम्मानित किया गया है। इसके अलावा हमारे कई पड़ोसी देशों ने भी अपने डाक टिकटों पर रामायण को दर्शाया है।
14 अक्टूबर 1970 में बीस पैसे का एक डाक टिकट जारी हुआ था। इस टिकट पर महर्षि वाल्मिकी के साथ-साथ राम, सीता और लक्ष्मण को भी दर्शाया गया। इसके अलावा 22 सितंबर 2017 को रामायण पर ग्यारह डाक टिकटों का एक सेट जारी किया गया था।
भारत में रामायण पर आधारित कविताओं और नाटकों की रचना अलग-अलग भाषाओं में और अलग-अलग समय पर की गई। इसके कुछ रचनाकारों पर टिकट जारी हुई थी। भारत ने प्रसिद्ध संस्कृत महाकाव्य कवि कालिदास के सम्मान में दो डाक टिकट जारी किए थे। जिसपर नाटक ‘मेघदूत’ और ‘शाकुंतल’ के दृश्य दिखाए गए थे।
प्राचीन काल में जब आवाजाही की कोई सुविधा नहीं थी। तब व्यापारी और यात्री समुद्र के रास्ते भारत से बाहर जाते थे। जिन देशों में भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार हुआ उन्होंने अपने डाक टिकटों पर रामायण के दृश्यों और उनके पात्रों को उस पर दर्शाया। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों में, रामायण की मूल कहानी और उसके पात्र वही रहे; लेकिन उन देशों की रामायण में स्थानीय रीति-रिवाजों, मान्यताओं और व्यक्तियों का प्रभाव देखा जा सकता है।
इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में द्वीपों का एक देश है। रामायण का इंडोनेशियाई संस्करण काकाविन रामायण है. रामायण अधिकतर इंडोनेशिया में मेदांग राजवंश के दौरान लिखी गई थी। इंडोनेशिया ने हिंदू देवी-देवताओं का सम्मान करते हुए उन पर डाक टिकट भी जारी किए हैं। 1962 में रामायण पर 6 टिकटों का एक सेट तैयार किया गया था। इन टिकटों पर जटायु, हनुमान, रावण, मारीच, सीता, राम को दर्शाया गया है।
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