03-Jun-2025
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रिटायरमेंट के बाद मुसफिका हुसैन ने अपने शौक को बनाया बिजनेस, शुरू की रिबन आर्ट

रिबन कढ़ाई सजावटी सामान पर कढ़ाई करने की एक ख़ास कला है, जिसमें 3D डिज़ाइन बनाए जाते हैं

कई साल तक टीचर की नौकरी करने के बाद जब रिटायरमेंट का समय आता है तो कई चीज़ें ज़हन में आती हैं कि अब आगे क्या? असम की एक महिला टीचर के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। रिटायरमेंट के बाद उन्होने अपने बचपन के शौक को न सिर्फ़ आमदनी का ज़रिया बनाया बल्कि थोड़े ही समय में उन्हें अखबारों की सुर्खियों तक पहुंचा दिया। मुसफिका हुसैन रिबन आर्टिस्ट है,जो रिबन के ज़रिए कढ़ाई करती हैं। असम की राजधानी गुवाहाटी के बीचों बीच माछखोवा इलाके में मुसफिका हुसैन अपने परिवार के साथ रहती हैं, उनके परिवार में पति और एक बेटी है। मुसफिका पेशे से एक टीचर हैं और साल 2023 में नौकरी से रिटायर हो चुकी हैं। अब घर के कामकाज के बाद उनका समय कपड़ों पर कढ़ाई करते और तरह-तरह के डिज़ाईनदार चीजें बनाते हुए बीतता है। 

क्या है रिबन आर्ट? 

रिबन आर्ट में धागे की जगह रिबन का इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए इस कला को रिबन आर्ट कहते हैं। फूल, पत्ते या किसी भी नक्शे पर रिबन से कढ़ाई करने में बहुत मेहनत और समय लगता है। रिबन कढ़ाई सजावटी सामान पर कढ़ाई करने की एक ख़ास कला है, जिसमें 3D डिज़ाइन बनाए जाते हैं। इस तकनीक से कपड़ों और दूसरी चीज़ों पर बेहद ख़ूबसूरत और उभरे हुए डिज़ाइन तैयार किए जाते हैं, जिनमें फूल बनाना सबसे आम है। 

मुसफिका का मानना है कि रिबन कढ़ाई और दूसरी कढ़ाई में अंतर है। रिबन कढ़ाई की ख़ासियत इसकी अनोखी बनावट है, जो इसे दूसरी कढ़ाई से अलग बनाती है। बड़ी बात ये है कि इस रिबन आर्ट को सीखने के लिए मुसफिका ने कोई कोर्स नहीं किया बल्कि कढ़ाई करने के उनके बचपन के शौक ने ही उन्हें रिबन आर्ट में माहिर बना दिया। 

कैसे शुरू हुआ मुसफिका हुसैन का रिबन आर्ट का सफ़र ? 

मुसफिका ने DNN24 को बताया कि साल 1997-98 में वो गुवाहाटी में एक एग्जीबिशन देखने गई थी। वहां उन्होंने कुछ विदेशी स्टॉलस में छोटे-छोटे बैग पर रिबन आर्ट देखा, ग्राहक उसे पसंद भी कर रहे थे। उस दौरान कढ़ाई करने का उनका बचपन का शौक आंखों के सामने आ गया और मुसफिका को लगा ये आर्ट तो वो भी कर सकती हैं। तभी मुसफिका ने उस स्टॉल से दो बैग खरीदे और घर आ गईं। घर आ कर उन्होंने कंप्यूटर स्क्रीन पर एक रिबन आर्ट बनाई जो घर वालों को बहुत पसंद आई। और यहीं से मुसफिका का रिबन आर्ट का सफ़र शुरू हो गया।घर का कामकाज निपटाने के बाद वो रिबन आर्ट बनाने बैठ जाया करतीं। कुछ ही दिनों में उन्होंने ढेर सारी चीज़ें बना डाली। जब मिलने-जुलने वालों ने मुसफिका की कला देखी, तो उन्हें ये बेहद पसंद आई। उन्होंने इन चीज़ों को खरीदने की इच्छा जताई। यहीं से मुसफिका ने अपनी रिबन आर्ट से पैसा कमाने की शुरुआत की।

जब लोग रिबन आर्ट से बनाई गई चीज़ों को पसंद करने लगे तो मुसफिका का हौसला भी बढ़ा और वो ऐसी चीज़ों पर रिबन आर्ट करने लगीं जिसे गिफ्ट के तौर पर या घरों में सजावट के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इन चीज़ों में रनर, टेबलक्लॉथ, बैग, कुशन कवर, सोफा कवर, डाइनिंग मैट, मोबाईल बैग, और फोटो फ्रेम पर खूबसूरत डिजाइन के साथ रिबन की कढ़ाई शामिल है। मुसफिका की बनाई चीज़ों की कद्रदान फरहाना ने dnn24 को बताया कि “मैंने तो काफी सारे आइटम लिए हैं क्योंकि ये चीज है ही इतनी सुंदर। मुझे ये बहुत पसंद है। मैंने फ़ोटो फ्रेम, क्लच बैग्स, लूप एमबरोइड्री भी लिया है जिसे रूम में सजाने से अलग ही सुंदरता झलकती है।” 

मुसफिका के रिबन आर्ट से बने प्रोडक्ट की क्या है कीमत ? 

मुसफिका के रिबन आर्ट की चर्चा अब शहर में होने लगी है। वो अपने तैयार किए गए सजावटी सामान को शहर के मेलों में बेचती हैं। इसके अलावा, दोस्तों, परिवार और रिश्तेदारों के जरिए भी उनके उत्पादों की मांग तेजी से बढ़ रही है। रिबन कढ़ाई से बने टेबल क्लॉथ की कीमत 800 से 900 रुपये, कुशन कवर 400 रुपये, 3 पीस सेट 700- 800 रुपये, रनर 650 रुपये, डाइनिंग मैट 1600 रुपये, सोफा कवर की कीमत 1600 रुपये तक हैं।

मुसफिका का फेसबुक पेज ‘मुसफिका रिबन आर्ट’ और इंस्टाग्राम पेज ‘मुसफिका हुसैन05’ के नाम से है जहां आप उनके बनाए सामान को देख सकते हैं और खरीदारी कर सकते हैं। लेकिन मुसफिका अपने इस आर्ट को बड़े पैमाने पर करना नहीं चाहती हैं। मुसफिका कहती हैं कि उम्र के इस पड़ाव में घर के काम काज के बाद जो समय मिल जाता है उसमें मैं अपना शौक पूरा कर लेती हैं और उससे उन्हें कुछ पैसे मिल जाते हैं, यही उनके लिए काफी है।मुसफिका अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए कहती हैं कि उन्होंने कभी प्लान नहीं किया था कि ज़िंदगी में वो कभी बिजनेस भी करेंगी। कढ़ाई करना तो उनके लिए सिर्फ़ एक शौक था। लेकिन वो इसे अल्लाह का आशीर्वाद मानती हैं कि उनका यही शौक आज एक सफल व्यवसाय में बदल गया है और इसके साथ ही उन्हें शोहरत भी मिल रही है। 

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